शिक्षा

प्रतिभावान बनने के लिए गुरु शिष्य की परंपरा अति आवश्यक -प्राचार्य अशोक ध्रुव स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट इंग्लिश मीडियम स्कूल भैसमुंडी में गुरु शिष्य की परंपरा को कायम रखने चंदन पौधा एवं पेन,श्रीफल को किया भेट


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प्रतिभावान बनने के लिए गुरु शिष्य की परंपरा अति आवश्यक -प्राचार्य अशोक ध्रुव

स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट इंग्लिश मीडियम स्कूल भैसमुंडी में गुरु शिष्य की परंपरा को कायम रखने चंदन पौधा एवं पेन,श्रीफल को किया भेट

संवाददाता टोमन लाल सिन्हा

 

मगरलोड – विकासखंड मुख्यालय मगरलोड के स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट इंग्लिश मीडियम स्कूल भैंसमुंडी में गुरु शिष्य परम्परा कार्यक्रम के तहत स्कूल
के सभी गुरु जनों के द्वारा एक एक विशिष्ट प्रतिभाशाली विद्यार्थी जो कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति समर्पित हो तथा प्रत्येक कक्षा से एक विशिष्ट विद्यार्थी का चयन किया तथा उसे एक पेन और एक चन्दन का पौधा दिया गया उसी तरह विद्यार्थी के द्वारा प्रत्येक गुरु जनों को एक- एक चन्दन का पौधा एवं श्रीफल समर्पित किया ताकि गुरु जन उन्हें ज्ञान दे कर चन्दन से भी बहुमूल्य बना दे जिस तरह चन्दन अपनी चारो ओर सुगंध बिखेरता है उसी तरह शिष्य भी अपनी प्रतिभा जग में फैलाये I
स्कूल के प्राचार्य श्री ए के ध्रुव के अनुसार गुरु शिष्य परम्परा कार्यक्रम के आयोजन से विद्यार्थियों में गुरु के प्रति अपनी निष्ठा एवं आदर सम्मान की भावना व्यक्त होती है साथ ही गुरुवों में अपने शिष्य को सफलता की उचाईयों तक पहुँचाने की प्रेरणा मिलती है I सभी विद्यार्थियों को चंदन के पेड़ की तरह ही बनना है क्योंकि चंदन के बारे में एक कहावत है कि इसमें बहुत सारी बुराइयां भी अगर आए तो यह बुराइयों को ग्रहण ना करके अपनी अच्छाइयों को ग्रहण करता है अपनी अच्छाई को फैलाने का प्रयास करता है अपने चारों ओर अपनी शीतलता देने का प्रयास करता है अपना सुगंध फैलाता है I जिस तरह चंदन के पेड़ बड़ा होकर बहुत ही मूल्यवान बनता है उसी तरह एक विद्यार्थी को गुरु ज्ञान देकर बहुत ही मूल्यवान संस्कारवान और बहुत ही सभ्य बना देता है इस तरह गुरु एक आदर्श राष्ट्र निर्माता के रूप में अपना बहुमूल्य योगदान देते हैं I
कार्यक्रम के सह-संयोजक शासकीय माध्यमिक शाला लुगे की शिक्षिका रंजीता साहू ने कहा यह कार्यक्रम पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ गुरु और शिष्य की परंपरा को जोड़ने वाला कार्यक्रम है इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है कि हमारे मानव जाति का सबसे बड़ा गुरु है हमारा प्रकृति जो हमें दिन-रात यह शिक्षा दे रही है कि हमें अपने प्रकृति को बचाना है हमें अपने वातावरण को संतुलित करना है हमें जल संरक्षण करना है हमें धरती के संरक्षण करना है, हमें अपने आसपास के लोगों से भाईचारा रखना है, जीव जंतु पेड़ पौधों के प्रति अपने कर्तव्य का पालन करना है यह प्रकृति हमें सिखाती है I जिस तरह माता-पिता को प्रथम गुरु कहा गया है उसी तरह प्रकृति हम सब की, पूरी मानव जाति की, सभी जीव जंतुओं की प्रथम गुरु है I चंदन का वृक्ष देने का यह मतलब है कि इस देश की माटी चंदन की तरह है इस देश की धरती में आप जैसे होनहार हैं जो चंदन की तरह है ही आगे बढ़कर बहुत ही मूल्यवान होंगे और समाज के लिए आप एक नई दिशा नई दशा और नई पीढ़ी का सृजन करने के लिए तत्पर रहेंगे I
“प्रकृति हमारा सबसे बड़ा गुरु” “Nature is our Best Teacher” के उद्देश्य से शिक्षिका रंजीता साहू के द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर विभिन्न विद्यालयों जैसे शासकीय माध्यमिक स्कूल लुगे, शासकीय हाई स्कूल (बालक) मगरलोड, शासकीय कन्या विद्यालय मगरलोड, शासकीय हाई स्कूल तर्रीघाट एवं स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट इंग्लिश मीडियम स्कूल भैंसमुंडी में पर्यावरण संरक्षण के लिए चन्दन के पौधे उपलब्ध कराये है I
कार्यक्रम में पालक समिति के सदस्यों को भी पौधों का वितरण किया गया I कार्यक्रम में उत्कृष्ट पर्यावरण संरक्षक अवार्ड से शिक्षक एवं स्टूडेंट को सम्मानित किया गया
इस कार्यक्रम से विद्यार्थियों ने यह जाना कि प्रकृति किस तरह हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है और इसका संरक्षण अतिअवश्यक है प्राचार्य श्री ए के ध्रुव के द्वारा सभी उपस्थित गणमान्य जनों, पालकों तथा कार्यक्रम में विशेष सहयोग के लिए श्री युवराज गजपाल, तुमन चंद साहू एवं रंजीता साहू का आभार व्यक्त किया गया I


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