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एक हजार से अधिक इंद इंद्राणियों द्वारा विधि विधान से संपन्न कराया गया भगवान आदिनाथ का जन्म उत्सव

पाषाण से भगवान बनाने की प्रक्रिया में पंचकल्याणक महोत्सव में भगवान आदिनाथ का जन्म

पेण्ड्रा / पाषाण से भगवान बनने की प्रक्रिया में अमरकंटक के पंचकल्याणक महोत्सव में भगवान आदिनाथ का जन्म उत्सव पूर्वक धार्मिक रीति रिवाज से मनाया गया। सुंदर सज्जित विशाल सभागार में एक हजार से अधिक इंद इंद्राणियों सहित विशेष पात्रों द्वारा यह विधि संपन्न हुई। बाल ब्रम्ह्यचारी प्रतिष्ठाचार्य विनय भैया के निर्देशन में सभी क्रियायें पूरी की गई।

अमरकंटक में जैन धर्मावलंबियों के पंचकल्याणक महोत्सव में भगवान आदिनाथ के जनम की विधि संपन्न की गयी। युग के आदि में अयोध्या के राजा नाभिराय और उनकी धर्मपत्नी महारानी मरुदेवी के गर्भ से भगवान आदिनाथ जन्मे थे। मंगलवार को अपरान्ह में पंचकल्याणक महोत्सव अमरकंटक के सौधर्म इंद्र के पद पर आरूढ़ सिंघई प्रमोद जैन बिलासपुर शचि पद पर आरूढ़ उनकी धर्मपत्नी सविता जैन गजरथ पर सवार होकर शोभायात्रा के साथ भगवान आदिनाथ के बालरूप आदिकुमार की प्रतिमा के साथ समारोह स्थल से नवीन जिनालय प्रांगण पहुंचे। जिनालय परिसर में बालरूप भगवान आदिनाथ की प्रतिमा को ऊंची पांडुकशिला पर विराजमान किया गया। श्रद्धालुओं की विशाल उपस्थिति में सौधर्मेन्द्र ने प्रतिमा का जन्माभिषेक किया। प्रथम कलश से अभिषेक निर्मल झांझरी दीमापुर असम ने 11 लाख रुपए की राशि देकर किया। इसके पश्चात दान की राशि के आधार पर सैकड़ों भक्तों ने भगवान के बालरूप प्रतिमा का अभिषेक किया।

प्रचार प्रमुख वेदचन्द जैन ने बताया कि जन्माभिषेक के उपरांत पुनः भव्य शोभायात्रा के साथ भक्ति में नाचते गाते भक्तजन प्रतिमा के साथ समारोह स्थल पहुंचे। रात्रि के सांस्कृतिक कार्यक्रम में भगवान की बाल क्रीड़ाओं का रोचक और ज्ञानवर्धक मंचन किया गया।

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