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विशेष लेख : अनुसूचित जाति / जनजाति और पिछड़ा वर्ग को आगे बढ़ते देख क्यों हो रहा है पेट में दर्द ?


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अनुसूचित जाति / जनजाति और पिछड़ा वर्ग को आगे बढ़ते
देख क्यों हो रहा है पेट में दर्द ?

छत्तीसगढ़ राज्य में अनुसूचित जाति / जनजाति और अन्य पिछड़े वर्ग की उन्नति देख कुछ लोगों के पेट में दर्द होने लगता है। वे लोग चाहते हैं कि सैकड़ों साल तक
जिस तरह से इन वर्गों के लोग जी हुजुरी करते रहे हैं, उसी तरह आज भी करते रहें और वे अपनी उल्लू सीधा करते रहें। लेकिन अब अनुसूचित जाति / जनजाति और अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों में जागरूकता आने के साथ साथ ऐसे लोगों का वर्चस्व खतरे में पड़ने लगा
है जिसके कारण ये व्याकुल होकर अनायास ही लोगों को भ्रमित करने की कोशिश करते
रहे हैं।
हाल ही में छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित राज्य सेवा परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया जिसमें अनुसूचित जाति / जनजाति और अन्य पिछड़े वर्ग के कुछ मेधावी विद्यार्थियों ने अनारक्षित पदों पर अपना स्थान बना लिया है। इन लोगों के अनारक्षित पद पर चयनित होने के कारण एक तरफ जो अपने आप को अनारक्षित श्रेणी के दावेदार मानते हैं उनके कुछ पद छीन गये और दूसरी तरफ अनुसूचित जाति / जनजाति और अन्य पिछड़े वर्ग के उम्मीदवारों को उनके लिये आरक्षित पद से अधिक संख्या में चयनित होने का अवसर मिल गया ।
वास्तव में अनारक्षित पद किसी के लिए आरक्षित नहीं होता लेकिन इसे कुछ लोग अपने लिए आरक्षित मानते है। ऐसे अनारक्षित वर्ग के लोगों का खेल देखिए कि पिछड़े वर्ग के लोगों को ही मोहरा बनाकर लोक सेवा आयोग पर आरोप लगाने का जिम्मा सौंप दिया गया है। जिनके द्वारा अधिकारी / नेताओं के बच्चों का गलत तरीके से चयन करने का आरोप लगाया है। लेकिन महिनों बाद भी सबूत के नाम पर शून्य है। राज्य सेवा परीक्षा में अधिकारियों और नेताओं के बच्चों का चयन होने की यह पहली घटना नहीं है। चाहे राज्य लोक सेवा आयोग हो या संघ लोक सेवा आयोग, पुराने परिणामों को देखा जाय तो ऐसे कई प्रकरण मिलेंगे। एक ही घर में एक से अधिक आई.ए.एस. आई. पी. एस. और अन्य प्रतिष्ठित पदों पर चयनित हुए मिल जायेंगे ।
लेकिन तब कोई तकलीफ नहीं थी क्योंकि तब आरक्षित वर्ग के लोग अनारक्षित सीट पर नहीं जा पाते थे या फिर जाने ही नहीं दिया जाता था। पूर्व वर्षों में आरक्षित वर्ग के लोगों को साक्षात्कार में दिए गए अंकों से इसकी पुष्टि की जा सकती है। इस खेल की सच्चाई देखें तो पता चलता है कि इनकी परेशानी अधिकारी और नेताओं के बच्चों के चयन होने से नहीं है, इनको तकलीफ इस बात से है कि अनुसूचित जाति / जनजाति और अन्य पिछड़े वर्ग के लोग अनारक्षित सीट से कैसे चयनित होने लगे हैं ? राज्य सेवा आयोग में अधिकांश अधिकारी कर्मचारी आरक्षित वर्ग से हैं, यह भी उनके लिए पीड़ादायक है।
क्योंकि लंबे अरसे तक ऐसी संस्थाओं पर कब्जा करके मनमानी करते रहें है और अब यह मौका उनके हाथ से फिसलते दिख रहा है।अनुसूचित जाति/जनजाति और अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों ने इनके खेल को जान लिया है और इन वर्गों के सामाजिक संगठनों ने फर्जी शिकायत के खिलाफ आन्दोलन करने का मन बना लिया है। साथ ही उन्होंने समाज से आह्वान किया है कि आरक्षित वर्ग
के लोग दूसरों के लिए अपने कंधे का इस्तेमाल करने न देवें।
जब अन्य पिछड़े वर्ग कोशासकीय सेवाओं में आरक्षण देने के लिए देश में मंडल कमीशन लागू किया गया है तो
पिछड़े वर्ग के विकास में विरोधी तत्वों ने इसके विरोध में पूरे देश को अशांत करने की कोशिश की और आत्मदाह तक करने की दिखावा किया । उस समय भी पिछड़े वर्ग के लोगों को मोहरा बनाया गया। तब पिछड़े वर्ग के लोगों को अपने हितों को समझने में देर लगी।
लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अनुसूचित जाति जनजाति को दिए गए आरक्षण के खिलाफ आंदोलन और धरना प्रदर्शन तो इनके आदत में शुमार है। अनारक्षित वर्ग में गिने जाने वाले लोगों द्वारा पिछड़े समाज पर अपना वर्चस्व बनाए रखने का लगातार प्रयास किया जाता रहा है। वे कभी नहीं चाहते कि कोई अन्य समाज का व्यक्ति उनके समकक्षपहुंचे।
लोक सेवा आयोग की परीक्षा में आरक्षित उम्मीदवारों का अनारक्षित श्रेणी में चयन होना इनके लिए पद हानि से बढ़कर मानहानि प्रतीत हो रहा है और इसी कारण है कि लोक सेवा आयोग पर तरह-तरह के आरोप लगाकर अपनी प्रतिष्ठा बचाने का प्रयास किया जा रहा है। इसमें ऐसे लोग भी शामिल हो सकते हैं जिन्होंने प्रारंभिक एवं प्रतियोगी परीक्षाओं में मेरिट में स्थान नहीं बना सके। अपनी योग्यताओं को छुपाने का बड़ा मंत्र दूसरों पर दोषारोपण करना होता है।
ऐसे अस्त्रों का भीड़ में इस्तेमाल करना आसान होता
है क्योंकि कोई यह नहीं देख पाता कि भीड़ में पद कौन ले रहा है और किसके कहने पर इस्तेमाल हो रहा है, चुनावी मौसम में जिनसे मत मिलता है उसे उन्हीं वर्गों की भावी पीढ़ी को खुशहाल जीवन कुछ लोग नहीं देना चाहते, ऐसे में ये समाज के लोग भी अब लामबंद देना चाहते हैं और विघ्न संतोषी लोगों को सबक सिखाना चाहते है ।
माननीय भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राज्य में भर्ती एवं पदस्थापना किये जाने के लिए शासन को अनुमति दी गई है लेकिन परिणाम घोषित होने के एक माह से अधिक समय व्यतीत होने के बाद भी छत्तीसगढ़ शासन द्वारा चयनित उम्मीदवारों की पदस्थापना नहीं की गई है। इससे प्रतीत होता है कि राज्य सरकार भी कमोबेस झूठे, अनर्गल आधारहीन और तथ्यहीन शिकायत करने वालों के पक्ष में खड़ी है। दो-दो, तीन-तीन साल मेहनत करने के बाद कोई उम्मीदवार राज्य सेवा के पद पर चयनित होता है।
चयनित होने के बाद पदांकन के लिए प्रतीक्षा में समय बिताना कितना कठिन होता है, यह मेहनतकरने वाला ही समझ सकता है।
छत्तीसगढ़ सरकार को चाहिए कि ऐसे आधारहीन
शिकायतों पर ध्यान न देते हुए विभिन्न पदों पर चयनित उम्मीदवारों को तत्काल पदांकन कर कमजोर वर्ग के साथ होने का परिचय दे ।

लोक सेवा आयोग की छवि खराब करने का प्रयास निंदनीय है छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग पिछले कुछ वर्षों से सुनियोजित ढंग से विभिन्न परीक्षाओं कर समय पर बेरोजगार युवक, युवतियों को शासकीय सेवा उपलब्ध कराने में सराहनीय कार्य करते आ रहा है। प्रतिवर्ष राज्य सेवा परीक्षा के माध्यम से सैकड़ों बेरोजगार अपना भविष्य का निर्माण कर शासन की सेवा में योगदान दे रहे हैं। कुछ वर्षों के परीक्षा परिणाम
में यह भी देखा गया है कि अनुसूचित जाति / जनजाति और पिछड़े वर्ग के युवक युवतियों का चयन सामान्य वर्गों से हो रहा है जिससे यह परिलक्षित होता है कि लोक सेवा आयोग का चयन प्रणाली सुस्पष्ट भेदभाव विहिन योग्यता एवं प्रावीण्यता के आधार पर हो रही है
जिससे इन वर्गों के युवाओं में लोक सेवा आयोग के चयन प्रणाली पर विश्वास पैदा हुआहै।

इन सबका श्रेय निश्चित रूप से शासन के अधीन
संवैधानिक पदों पर बैठे हुए माननीय अध्यक्ष लोक सेवा आयोग श्री टामनसिंह सोनवानी एवं उनके अधीनस्थ सदस्यों एवं टीम को जाता है। इन परीक्षाओं के माध्यम से विभिन्न पदों पर चयन होने का अधिकार सभी
योग्य व्यक्ति का हो, चाहे वह अध्यक्ष के परिवार का योग्य उम्मीदवार हो अथवा अधिकारियों के परिवार का योग्य सदस्य ।
यह पहली बार नहीं है जब श्री टामन सिंह
सोनवानी के निष्ठा लगन एवं विश्वनीय चयन प्रणाली पर कुछ लोगों द्वारा उंगली न उठायी गयी हो, ये वही लोग होते हैं जिन्हें पिछले सवालों से अयोग्य होते हुये भी
शासकीय सेवा में आने का प्रयासरत रहते हैं परन्तु पारदर्शिता पूर्ण निष्ठापूर्वक ईमानदारी से चयन प्रणाली को विश्वसनीय बनाये रखने के कारण सफल नहीं हो पाते हैं।
पूर्व वर्षों में भी उच्च पदों, राजनेताओं के परिजनों का विभिन्न पदों में चयन होते रहा है।
अब भी योग्य बच्चों का चयन इसी प्रकार अन्य अधिकारियों एवं नेताओं के परिजन भी योग्यता लगन एवं मेहनत के बल पर योग्यतानुसार अपना पद सुनिश्चित किये हैं।
लोक सेवा आयोग में श्री टामन सिंह सोनवानी के अध्यक्ष बनने के बाद के राज्य सेवा परीक्षा की स्थिति को देखा जाय तो प्रतिवर्ष निश्चित समय पर घोषित परीक्षा तिथियों के अनुसार चयन प्रक्रिया पूर्ण किया गया है । मौखिक (इन्टरव्यू) तिथि में अंतिम दिवस से देर रात तक परीक्षा परिणाम समस्त रैंक और चयन होने वाले रिक्त पदों के विरूद्ध उम्मीदवारों का स्पष्ट नाम सहित सूची जारी की गई है। इनके पूर्व के वर्षों मेंचयन प्रक्रिया समयबद्ध नहीं रहा है। एक परीक्षा का आयोजन एवं परीक्षा परिणाम में दो वर्षों का समय तक लगते रहा है जिससे युवक युवतियों में परीक्षा फार्म जमा करना भी
कम कर दिये थे। वर्ष 2019-2020, 2020-2021, 2021 2022 में तीन परीक्षाओं का सुनियोजित संचालित कर योग्यता अनुसार प्रावीण्यता के आधार पर चयन सूची जारी कर युवाओं को शासकीय सेवा का अवसर उपलब्ध कराना सराहनीय है केवल राज्य सेवा
परीक्षा ही नहीं इन तीन वर्षों में अन्य विभागों के सैकड़ों रिक्त पदों पर विधिवत चयन पूरा किया गया है।
राज्य के संवैधानिक संस्था के विरूद्ध एवं कर्तव्यनिष्ठ ईमानदार संस्था प्रमुखों के विरूद्ध अनर्गल बयानबाजी कर प्रश्न उठाकर संविधानिक संस्था को छवि धुमिल
करने का प्रयास किया जा रहा है।


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