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दुब्बर ला दू आषाढ़” संविदाकर्मी आंदोलन बर लाचार साढ़े चार साल बाद भी नियमितिकरण के वादे पूरे नहीं हुए_ कौशलेष तिवारी 3 जुलाई से अनिश्चित कालीन हड़ताल, कामकाज ठप


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“दुब्बर ला दू आषाढ़” संविदाकर्मी आंदोलन बर लाचार
साढ़े चार साल बाद भी नियमितिकरण के वादे पूरे नहीं हुए_ कौशलेष तिवारी
3 जुलाई से अनिश्चित कालीन हड़ताल, कामकाज ठप
………._ 30 जुलाई 2023_ सरकार बनने से पूर्व 2018 के जनघोषणा पत्र में कांग्रेस पार्टी ने संविदा कर्मचारियों से नियमितिकरण का वादा किया था। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के साढ़े चार साल बादनियमितिकरण तो दूर नियमित रूप से जो वेतन बढ़ाना था वह भी नहीं बढ़ाया गया। संविदा कर्मचारियों का कहना है कि उनकी स्तिथि “दुब्बर ला दू आषाढ़” जैसी हो गई है। चूकि जो नियमित रूप से वेतन बढ़ता था वह भी नहीं बढ़ा और कर्मचारियों की बिना भर्ती किए नई नई योजनाओं का संचालन कर काम का बोझ जरूर बड़ गया है। प्रदेश में संविदा कर्मचारी कोल्हू के बैल की तरह पीसे जा रहे हैं। इन सब का परिणाम हुआ कि 3 जुलाई से प्रदेश के 54 विभागों में कार्यरत 45000 हजार संविदा कर्मचारियों ने सरकार को अपनी नियमितिकरण के वादे अनुपूरक बजट में शामिल कर पूरा करने अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा रहे हैं। जिले में कर्मचारियों के उत्साह को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले दिनों में कई सरकारी दफ्तरों में ताले लटक जायेंगे और स्वास्थ्य सुविधा और पंचायत स्तर के निर्माण कार्य के साथ आवश्यक सेवाएं ठप पढ़ जायेंगी।
छत्तीसगढ़ सर्व विभागीय संविदा कर्मचारी महासंघ के प्रांताध्यक्ष कौशलेश तिवारी ने बताया कि हम विगत 4 सालों में सैकड़ों बार आवेदन निवेदन कर चुके है । विगत माह संविदा नियमितीकरण रथयात्रा के माध्यम से 33 जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री जी के नाम ज्ञापन दे चुके है किंतु सरकार की तरफ से संवादहीनता निरंतर जारी है।
प्रांतीय कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सिन्हा और अशोक कुर्रे ने सयुक्त रूप से बताया कि इस बार एन एच एम और मनरेगा के अलावा कृषि विभाग, शिक्षा विभाग के संविदा कर्मी लामबंद हुए है। इसलिए यह सरकार को जल्द से जल्द सकारात्मक पहल की जरूरत है । कोई भी शासकीय कर्मचारी हड़ताल में जाना नहीं चाहते किंतु हमारी मजबूरी है। मात्र हमारी पीड़ा को दूर करने सरकार के पास निश्चित दिन शेष है किंतु सरकार ध्यान नहीं दे रही।
जिला अध्यक्ष रितेश्वर ने बताया कि हम संविदा कर्मचारियों में काम का बोझ बढ़ता ही जा रहा है, किंतु हमारी पीड़ा सुनने वाला कोई नहीं है। सरकार अपने नियमितिकरण के वादे को लेकर भी अब तक स्पष्ट रुख नहीं दिखाई है , जिसके कारण कर्मचारियों में सरकार के प्रति रोष बढ़ता ही जा रहा है। सरकार की बेरुखी एक छत्तीसगढ में एक बढ़े कर्मचारी आंदोलन का कारण बनेगी।


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