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पीलीभीत से वरुण गांधी का टिकट काट सकती है BJP, राहुल के करीबी रहे नेता को मैदान में उतारने की तैयारी

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नई दिल्ली । आगामी लोकसभा चुनाव के लिए बिगुल बज चुका है। अप्रैल-मई में वोटिंग के बाद चार जून को नतीजे आने हैं। यूपी में बीजेपी ने ज्यादातर उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया है, लेकिन अब जिसपर सबकी नजरें हैं, वे वरुण गांधी हैं। पीलीभीत सीट से वर्तमान सांसद वरुण गांधी लंबे अरसे तक अपनी ही राज्य और केंद्र सरकार के खिलाफ बयान देते रहे। बीच-बीच में उनके पार्टी से नाराज होने की भी जानकारियां सामने आईं। सूत्रों के अनुसार, अब पीलीभीत से बीजेपी वरुण गांधी का टिकट काट सकती है।

एबीपी न्यूज ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि पीलीभीत सीट से बीजेपी कभी कांग्रेस में रहे और इस समय यूपी सरकार में मंत्री जितिन प्रसाद को टिकट दे सकती है। इसके अलावा, एक और मंत्री संजय गंगवार के नाम की भी चर्चा की गई है। हालांकि, आखिरी फैसला केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में किया जाएगा। मालूम हो कि जितिन प्रसाद यूपीए सरकार के समय केंद्र में मंत्री रह चुके हैं। उनकी गिनती राहुल गांधी के करीबी नेताओं में होती थी। बाद में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी ज्वाइन कर ली और फिर योगी सरकार में मंत्री बनाए गए।

एक दशक पहले वरुण गांधी की बीजेपी में फायरब्रांड नेताओं में गिनती होती थी। उन्हें यूपी का बीजेपी की ओर से मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में भी देखा जाता था, लेकिन फिर 2017 में बीजेपी ने योगी आदित्यनाथ को सीएम बना दिया। पिछले कुछ सालों में वरुण गांधी किसान आंदोलन, बेरोजगारी समेत तमाम मुद्दों पर काफी मुखर रहे और यूपी व केंद्र की अपनी ही सरकारों पर हमला बोलते रहे। यही वजह है कि लंबे समय से अटकलें लगाई जा रही थीं कि इस बार पार्टी लोकसभा चुनाव में वरुण का टिकट काट सकती है।

वरुण गांधी पर क्या बोले अखिलेश यादव
जब-जब वरुण गांधी की बीजेपी से नाराजगी की अटकलें लगीं तो यह भी चर्चा में आया कि वे समाजवादी पार्टी में शामिल हो सकते हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में भी कयास लगाए गए और अब लोकसभा चुनाव के दौरान भी ऐसी ही अटकलें लग सकती हैं। अब सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस पर टिप्पणी की है। अखिलेश यादव ने बीजेपी सांसद वरुण गांधी को लेकर कहा कि उनके बारे में हमारा संगठन फैसला लेगा। वरुण को लेकर एक और अटकलें लग रही थीं कि वे अमेठी से निर्दलीय मैदान में उतर सकते हैं और कांग्रेस व सपा उनका समर्थन कर सकती है। हालांकि, ऐसी चर्चाओं की पुष्टि नहीं की जा सकी है।


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